दूर पहाड़ियों पर गिरती है बर्फ हर बरस पिघलती है बर्फ हर बरस कहीं कुछ है जो सदियों से नहीं पिघला ये सूरज बदल दो यारों कि इसकी हरारत जरा कम सी है...
हिंदी समय में प्रतिभा कटियार की रचनाएँ